समाचार-संदर्भ
म्यांमार: लोकतंत्र के लिए लड़ाई
राजेंद्र भट्ट एक फरवरी, 2020 को म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार की सेना द्वारा बेशर्मी से बेदखली, दक्षिण एशिया के इस देश में कोई अपवाद की […]
खेती के साम्राज्यवादी पुनर्गठन से लड़ता किसान
ज्ञानेंद्र सिंह दिल्ली की संवेदनहीन दहलीज पर किसान आंदोलन दो माह से ज्यादा पूरे कर चुका है। कड़ाके की ठंड और बारिश की मार […]
आयुर्वेद और सर्जरी: कीमत जनता चुकाएगी
रामप्रकाश अनंत बीस नवंबर को केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसके अनुसार, आयुर्वेद में पोस्ट ग्रेजुएट 39 जनरल सर्जरी और […]
कॉरपोरेट और हिंदुत्व के गठजोड़ का सबसे बड़ी चुनौती
कॉरपोरेट और हिंदुत्व की राजनीति के इस गठजोड़ को अब तक की सबसे बड़ी चुनौती किसानों के आंदोलन द्वारा मिल रही है, जिसे धीरे-धीरे देश के अन्य मेहनतकश तबकों और जनपक्षधर बुद्धिजीवियों का समर्थन मिल रहा है और यह समर्थन निरंतर बढ़ता जा रहा है। 1991 के बाद के भारत के इतिहास का यह सबसे बड़ा जनांदोलन है, जिसके निशाने पर सीधे कॉरपोरेट घराने और उनके राजनीतिक नुमाइंदे हैं।
वोट की राजनीतिः आखिर जनता का पैमाना क्या होता है?
गाय पट्टी में बिहार वामपंथी, सोशलिस्ट और सामाजिक न्याय के आंदोलन का गढ़ रहा है। यह ऐसा प्रदेश रहा है, जहां 1970 के दशक में ही सोशलिस्ट पार्टी की सरकारें बनीं। भले ही ये सरकारें ज्यादा दिन नहीं चल पाई हों। वामपंथी आंदोलन, सोशलिस्ट आंदोलन और सामाजिक न्याय आंदोलन, तीनों का आधार सामाजिक तौर पर पिछड़े एवं दलित और आर्थिक तौर पर भूमिहीन एवं गरीब-सीमांत किसान रहे हैं, भले ही नेतृत्व में ऊंची जातियां भी रही हों। जहां सोशलिस्ट आंदोलन का मुख्य आधार पिछड़ा वर्ग था, वहीं वामपंथी आंदोलन का व्यापक आधार दलितों में भी था।
‘हेट स्पीच’ का दुःस्वप्न
पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जो समाज से जुड़ा है और जो अपने लिखे हुए, प्रकाशन और प्रसारण के लिए समाज के प्रति जवाबदेह है। अगर एक भी शब्द या दृश्य गलत या झूठा है या सनसनी फैलाने और किसी को चोर रास्ते से बढ़ावा देने या बचाने के लिए लिखा गया है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसीलिए मीडिया के नियमन की आवश्यकता पड़ती है। भारत में मीडिया के नियमन की कोई एकीकृत प्रणाली और कानून व्यवस्था नहीं है।
विपदा ने सिखायी नरमी
हरीश खरे नरेंद्र मोदी के स्वाधीनता दिवस के भाषण को उनकी ही कसौटी पर कसें तो पाते हैं कि इस बार उन्हें इसमें […]