निजीकरण के निहितार्थ
– रविकांत औपनिवेशिक भारत में आधुनिक शिक्षा की शुरुआत हुई। मानीखेज है कि ज्योतिबा फुले-सावित्रीबाई फुले जैसे बहुजन समाज सुधारकों के प्रयत्न से गरीब-वंचित तबके […]
– रविकांत औपनिवेशिक भारत में आधुनिक शिक्षा की शुरुआत हुई। मानीखेज है कि ज्योतिबा फुले-सावित्रीबाई फुले जैसे बहुजन समाज सुधारकों के प्रयत्न से गरीब-वंचित तबके […]
– रामशरण जोशी ”सविनय अवज्ञा नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है। वह अपने इस अधिकार को अपना मनुष्यत्व खोकर ही छोड़ सकता है। सविनय अवज्ञा […]
– शैलेश फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज’ के साथ बदले की भावना के साथ किया जा रहा सत्ता का बर्ताव कोई अलग-थलग मामला […]
भाषा किसी भी समाज के सांस्कृतिक ही नहीं बल्कि भौतिक विकास का भी मापदंड होती है। दूसरे शब्दों में, किसी भी भाषा का विकास और […]
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