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सुरक्षा की आड़, पर्यावरण की मार

December 17, 2021 admin 0
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सर्वोच्च न्यायालय में रक्षा मंत्रालय सीमा को जोडऩे वाले मार्गों के संदर्भ में यह अपील लेकर गया है कि नीति मार्ग सहित सीमा को जाने वाले मार्गों की चौड़ाई कम-से-कम 10 मीटर होनी चाहिए, क्योंकि ये रणनीतिक महत्त्व के मार्ग हैं और इनसे ब्रह्मोस-जैसी मिसाइल सीमा पर पहुंचाई जानी है। आज ये मार्ग सुरक्षा के लिए इतने महत्त्वपूर्ण होने के बावजूद सत्य यह है कि ये मार्ग आवाजाही के लिए महीनों बंद रहते हैं और राष्ट्रीय मीडिया में खबर तक नहीं बनती। नीति मार्ग जब अगस्त में हफ्ते भर से ज्यादा बंद रहा तो जोशीमठ में इस मार्ग को शीघ्र खोले जाने के लिए आंदोलन हुआ, आमरण अनशन किया गया। तब जाकर 15 दिन बाद मार्ग खुल पाया। यह महज इस साल का मसला नहीं है।

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तीसरी दुनिया का भविष्य और साम्राज्यवादी मंशाएं

December 17, 2021 admin 0
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जल विद्युत यानी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स लगातार हिमालय के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। हिमाचल और उत्तराखंड में इस साल मानसून में हुई तबाही ने खतरे की घंटी बजा दी है। हिमालय से निकलने वाली नदियों को लगातार सरकार बांधों में तबदील कर रही है। इन बांधों की वजह से भारी मात्रा में हिमालय क्षेत्र में मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है। हिमालयी क्षेत्र में इन बांधों की वजह से ही ज्यादा बादल बनना, गर्मी का बढऩा और बारिश की प्रवृत्ति में बदलाव हुए हैं। बढ़ती गर्मी के चलते हिमालय के ग्लेशियर पिघल गए हैं।

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पृथ्वी के भविष्य का संकट

December 13, 2021 admin 0
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जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के 26वें सम्मेलन के समापन सत्र में 200 पक्षकार देशों ने एक समझौते पर दस्तखत किए। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों के इकलौते सबसे बड़े स्रोत कोयले को ‘फेज आउट’ (चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने) के बजाय ‘फेज डाउन’ (धीरे-धीरे घटाने) करने का जो भाषाई घपला समझौते के कानूनी मसौदे में किया गया, उसने उन 37 देशों की आपराधिक मिलीभगत को उजागर कर दिया जो दिसंबर, 2020 में पूरी हुई क्योटो संधि की दूसरी वचनबद्धता अवधि के अंतर्गत बाध्यकारी प्रावधानों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं।

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घबराए नेतृत्व की हड़बड़ी

December 8, 2021 admin 0
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घबराहट चौतरफा है। ऐसा डिगा हुआ आत्मविश्वास पिछले सात वर्षों में शायद ही देखने में आया हो। धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल केंद्र में सत्ताधारियों का […]