समाचार-संदर्भ
तीसरी दुनिया का भविष्य और साम्राज्यवादी मंशाएं
जल विद्युत यानी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स लगातार हिमालय के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। हिमाचल और उत्तराखंड में इस साल मानसून में हुई तबाही ने खतरे की घंटी बजा दी है। हिमालय से निकलने वाली नदियों को लगातार सरकार बांधों में तबदील कर रही है। इन बांधों की वजह से भारी मात्रा में हिमालय क्षेत्र में मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है। हिमालयी क्षेत्र में इन बांधों की वजह से ही ज्यादा बादल बनना, गर्मी का बढऩा और बारिश की प्रवृत्ति में बदलाव हुए हैं। बढ़ती गर्मी के चलते हिमालय के ग्लेशियर पिघल गए हैं।
टीकाकरण में पिछड़ता भारत
देशी-विदेशी अधिकांश गैर-सरकारी विशेषज्ञ और जमीनी रिपोर्टर इस तथ्य से सहमत हैं कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर में कम से कम 15 लाख लोग मारे गए हैं। वहीं, विशेषज्ञ भारत के टीकाकरण की वर्तमान धीमी गति से आशंकित हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि भारत कोरोना महामारी की कई लहरों की चपेट में आ सकता है और लाखों नहीं, कोरोड़ों लोगों की जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं, भारत का यह संकट दुनिया के लिए भी संकट का सबब बनेगा।
शव वाहिनी गंगा
(हिंदी ) शव वाहिनी गंगा – पारुल खख्खर एक आवाज में मुर्दे बोलें सब कुछ ‘चंगा चंगा’, राजा, तुम्हारे रामराज्य में शव वाहिनी गंगा, […]
पुरुष बर्बरता की हार
अंजलि देशपांडे प्रिया रमानी जीत गईं, इसी बात को तकनीकी रूप से सही शब्दों में कहा जाए तो कहना पड़ेगा की वह बरी हो गईं। […]