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कांग स्पेल्टी की दुनिया

November 18, 2020 admin 0
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तरुण भारतीय आंख खुलते ही व्हाट्सएप संदेश देखा कि कांग स्पेलिटी नहीं रहीं। वह 28 अक्टूबर की रात 11 बजे चल बसीं। डॉमियासियाट् की महामाता […]

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गांधी और आंबेडकरः राष्ट्र निर्माण की दो विश्व दृष्टियों का संघर्ष

October 16, 2020 admin 4
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डॉ. आंबेडकर और महात्मा गांधी दो भिन्न-भिन्न विचारधाराओं के प्रतिनिधि हैं। वैश्विक संदर्भ में आंबेडकर पाश्चात्य दर्शन (तर्क) के पक्ष में खड़े हैं तो गांधी गैर पाश्चात्य दर्शन (आस्था) के पक्ष में खड़े हैं। भारतीय संदर्भ में आंबेडकर बौद्ध दर्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं तो गांधी वैदिक दर्शन का।

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18वीं सदी की राजभक्ति और 21वीं सदी में नजीर?

October 9, 2020 admin 0
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अवमानना के सजा योग्य अपराध होने का इतिहास बताता है कि पहले इंग्लैंड में राजा खुद न्याय करता था। बाद मैं राजा ने न्याय का काम कुछ न्यायाधीशों को अपने प्रतिनिधि के तौर पर सौंपा। तो न्यायाधीशों की निंदा, राजा की निंदा मानी गई और इसलिए दंडनीय हुई। ऐतिहासिक रूप से और जन्म से, अवमानना के अपराध का औचित्य राजा और राज के प्रति जनता के रवैये को प्रभावित करने को लेकर है और न्यायपालिका का खुद को अपमानित महसूस करने का कोई सवाल नहीं है। 

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धर्मनिरपेक्षता पराजित हो गई है?

August 24, 2020 admin 0
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भारतीय जनता पार्टी की विजय का संबंध धर्मनिरपेक्षता के प्रोजेक्ट की जीत-हार से है। धर्मनिरपेक्षता की पराजय के पक्ष में तर्कों का निहितार्थ यही है। धर्मनिरपेक्षता की जय-पराजय के बिंदु को केंद्र में रखकर प्रस्तुत है यह विश्लेषण।

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पलायनः दो सदी की त्रासदी

June 19, 2020 admin 2
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सबसे बड़ा प्रश्न यह कि सबसे अधिक करीब 60 प्रतिशत से अधिक प्रवासी मजदूर मध्य गंगा के मैदान के भोजपुरी भाषा-भाषी उन 64 जिलों से ही क्यों आते हैं, जो पश्चिमी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पड़ते हैं।

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कर्तव्यच्युत होती राज्य सत्ता

May 25, 2020 admin 0
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अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबों का खयाल रखने के लिए अमीरों का आह्वान किया और बंदी के दौरान प्रत्येक संपन्न परिवार से नौ गरीब परिवारों की मदद करने को कहा। यह संदेश बिलकुल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नजरिए से मेल खाता है, जहां राज्य के उपकरणों पर समाज भारी होता है। आरएसएस के विचारक दीनदयाल उपाध्याय ने पचास के दशक में ही राज्य निर्माण की नेहरूवादी अवधारणा के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया था, जब आजादी के बाद केंद्र द्वारा शुरुआती सरकारी अस्पताल बनाए जा रहे थे।