लेख
कोरोना वायरसः बीमारी का सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
दुनिया के सामने स्पष्ट हो चुका है कि कोरोना वायरस से पहले की दुनिया, कोरोना वायरस के बाद की दुनिया में , बहुत फर्क आ चुका है। कोरोना का डर दिखा कर जिस तरह से पूरी दुनिया में तानाशाही की रिहर्सल हो रही है यह लंबे समय तक इस तरह नहीं टिक पाएगी। कोरोना के नाम पर साम्राज्यवाद अपना आर्थिक संकट टाल नहीं पाएगा।
सत्ता के केंद्रित हो जाने के खतरे
”पूरे भारत में चल रहे लॉकडाउन की तुलना 2016 के मुद्रा के अवमूल्यन से की जा रही है। और इसका तर्क समझ में आता है। […]
हिंसा की गतिकी और दिल्ली के दंगे
फरवरी के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में जो हुआ वह किसी तरह से अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता। अगर किसी रूप में वह अप्रत्याशित था […]