यूलिसिस के सौ साल

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जेम्स जॉयस के विश्व प्रसिद्ध उपन्यास यूलिसिल के सौ वर्ष होने पर  उत्तरा बिष्ट

विश्व के महानतम उपन्यासों में गिने जाने वाले यूलिसिस ने इस वर्ष अपनी रचना के सौ वर्ष पूरे किए हैं। पर आज सौ वर्ष बाद भी जेम्स जॉयस की रचनाओं को पढऩा और उन पर लिखना मानो स्वयं साहित्य को चुनौती देना जैसा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर आप उनकी रचनाओं को सरल रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं तो कहीं ना कहीं आप उन रचनाओं की गहराई, उनकी जटिलता और उनके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को खो देते हैं और अगर आप जॉयस के लेखन को उसके परिवेश में, बिना छुए सामने रखते हैं तो उपन्यासकार जॉयस लेखक और पाठकों के बीच में दूरी बना देते हैं।

साहित्य प्रेमियों का जॉयस से स्नेह और ईर्षा, रागद्वेष, का नाता रहा है। इस महान लेखक को न पढ़ पाना और उस पर न लिख पाना, एक साहित्य प्रेमी के लिए उतना ही निराशाजनक हो सकता है जितना उसके बारे में लिखकर यह महसूस करना कि जो भी लिखा गया वह कम ही लिखा गया। सरल शब्दों में कहें तो उपन्यास की अचिंतनीयता उसकी कमजोरी भी है और ताकत भी। बरहाल 2022 के अंत तक आते-आते एक साहित्य प्रेमी और शोधकर्ता के रूप में यह तो कहा ही जा सकता है कि वह अमूल्य वरदान था। इन सौ वर्षों में जॉयस के लेखन या रचनाओं ने विशाल और एक अभूतपूर्व मकाम हासिल किया है। यह आधुनिक काल का ऐसा साहित्यिक दस्तावेज है जिसने भविष्य के साहित्य का रंगरूप ही बदल कर रख दिया। उपन्यास यूलिसिस दो फरवरी 1922 में छपा और इस की प्रकाशक थीं सिलवीया बीच जो पेरिस की प्रसिद्ध किताबों की दुकान शेक्सपीयर एंड कम्पनी की मालकिन थीं।

यूलिसिस के सफर का जानना अपने आप में रोमांचक है। जॉयस का उपन्यास यूनानी महाकाव्य ओडिसी का आधुनिक समानांतर है।

उपन्यास का सारा घटनाक्रम एक दिन यानी 16 जून 1904 के अंतराल में घटता है।

कहा जाता है की जॉयस इस उपन्यास को लिखने की तैयारी 1907 से ही कर रहे थे। जैसे-जैसे वह इसे लिखते गए यह विशाल रूप लेता गया और एक पारंपरिक उपन्यास के सारे स्थापित मानदंडों को नकारता गया। कई माइनों में यह कथा लेखन की पुरानी शैलियों को पछाड़ता गया। उपन्यास का ढांचा, अन्य महाकाव्यों की तरह ही खंडों में है। इसके तीन मुख्य हिस्से हैं जो आगे भी प्रसंगों में बंटे हुए हैं। हर एक प्रसंग अपने आप में अलग है। तकनीक और शैली में, पहला प्रसंग भूमिका का काम करता है और जॉयस के पहले छपे उपन्यास पोट्रेट ऑफ द आर्टिस्ट एज ए यंगमैन और यूलिसिस के बीच पुल का काम करता है।

जॉयस का उद्देश्य था एक ऐसे ‘पैगन’ (स्वच्छंद) नायक को ढूंढऩा जो एक कैथोलिक शहर में स्वछंद घूमे और जिसे वह डब्लिन निवासी बना सके।

उपन्यास के पात्र स्टिफेन डेडॉलस और लियोपोल्ड ब्लूम जॉयस की कल्पना के दो सिरे हैं। एक जवान तो दूसरा बुजुर्ग, एक चंचल या अपरिपक्व तो दूसरा परिपक्व, सुलझा हुआ। उपन्यास में अन्य कई ऐसे वाकये हैं जो दर्शाते हैं कि यह उपन्यास होमर पर व्यंग्य है। जेम्स ने अपने उपन्यास का आधार अपने परिवार और डब्लिन में बिताए दौर को बनाया। उपन्यास में कई ऐसे किरदार हैं जिन्हें जेम्स निजी तौर पर जानते थे पर कई ऐसे भी हैं जो उनसे पहली पीढ़ी के थे और सालों पहले मर चुके थे। उदाहरण स्वरूप, एक किरदार है पिसर डफ्फ जिसका नाम उन्होंने बदल कर पिसर बर्के रख दिया। या एक और किरदार लेनेहन है जो फ्रांसीसी में ही बात करता है। जॉयस ने लेनेहन का नाम एक आयरिश पत्रकार से लिया पर उसका रूप-रंग अपने पिता के दोस्त मिशेल हार्ट जैसा बनाया जिनकी मृत्यु 1900 के आसपास हो चुकी थी।

डबलिन के जीवन का चित्रण, मूक एकालाप तकनीक का इस्तेमाल और भाषा का भावुकता से बचते हुए इस्तेमाल, इस उपन्यास के प्रमुख गुण माने जाते हैं।

यूलिसिस में सबसे अहम बात जो उभर कर आती है वह उसकी शाब्दिक स्पष्टवादिता है जो उसके यथार्थवाद का एक मुख्य हथियार है। उपन्यास में अनोखे शब्दों का चयन, रचनाकार के असामान्य नजरिये को दर्शाता है। एक आलोचक का कहना है कि उपन्यास का नायक  ब्लूम या डेडालस नहीं बल्कि भाषा है। ‘मूक एकालाप’ की मदद से वह न केवल किरदारों की आंतरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं को दर्शाते हैं बल्कि साथ ही साथ उपन्यास की कहानी को भी आकार देते जाते हैं। ये किरदार न तो काल्पनिक ही हैं और न ही उनका उद्देश्य अपनी परेशानियों को व्यक्त करना है बल्कि वे जो करते हैं या बोलते हैं वह उनके जीवन की अपरिहार्य  स्थिति है।

यूलिसिस उपन्यास अर्थपूर्ण है और वह सिर्फ किरदारों के जीवन का फोटोचित्र नहीं है बल्कि उसका अर्थ उसके भाषा के इस्तेमाल, विभिन्न प्रसंगों में इस्तेमाल की गई तकनीक और हजारों संसर्गों और उल्लेखों में है। आलोचक स्टुअर्ट गिलबर्ट लिखते हैं की यूलिसिस न तो सकारात्मक है न नकारात्मक, न नैतिक या अनैतिक है बल्कि उसका संबंध आइंस्टाइन के एक फार्मूले, किसी यूनानी मंदिर या ऐसी कला से है जो अपनी तसल्ली या शांति के लिए और उत्तेजना से जीती है।

यूलिसिस की जटिलता को समझना चुनौती हो सकता है पर यह उद्देश्यहीन नहीं है। यह उपन्यास कई मायनों में जीवन से जुड़े रहस्यों और बारीकियों को तार्किक रूप देता है। पूरा उपन्यास दो नायकों के जीवन के इर्द-गिर्द घुमता है, मानो वे दोनों ही अपने जीवन की किताब खुद पढ़ रहे हों। यह एक तरह से दोहराना ही है कि यह उपन्यास अपनी शाब्दिक स्पष्टता के लिए तो जाना ही जाता है परंतु यह भी कहना जरूरी है कि जॉयस खुद एक उपन्यासकार के रूप में, इस में, न सिर्फ अदृश्य रहते हैं बल्कि पूरी कहानी में यही रवैया अपनाया हुआ है।

जब लेखिका वर्जिनिया वुल्फ ने पहली बार यूलिसिस पढ़ा तो उन्होंने जॉयस की बहुत तीखी आलोचना की और कहा कि ”मैं पहले दो-तीन प्रसंगों से सीमीट्री वाले प्रसंग तक प्रभावित हुई और मुग्ध भी,  फिर ऊब गई, उग्र भी हुई और लगा मानो कोई अंडरग्रेजुएट अपनी दाढ़ी खुजा रहा हो।‘’ वुल्फ ने शायद ही सोचा होगा कि यह उपन्यास विश्व साहित्य में नए मकाम हासिल करेगा और सर्वकालिक महान उपन्यासों में गिना जाएगा।  

संदर्भ

  1. James Joyce – Biography by Rechard Ellamn
  2. James Joyce Ulysses: A Study by Stuart Gilbert

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