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‘जेनरिक’ दवाओं का दिवा स्वप्न

November 4, 2023 admin 0
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आज जेनरिक दवाओं को लेकर कुछ ऐसा माहौल बन गया है जैसे जेनेरिक दवाओं से ही सारी स्वास्थ्य समस्याएं हल हो जाएंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी जेनेरिक दवाएं काफी प्रचलन में हैं और गरीब जनता को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

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आओ राजनैतिक भ्रमजाल छोडें!

October 7, 2023 admin 0
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यदि किसी पार्टी को मतदान में बहुमत हासिल होता है, तो यह माना जाता है कि उसे जनादेश हासिल है। इसीलिए, वे लोग जो चुनावी राजनीति में भाग लेते हैं, मतदान को लोकतंत्र के पर्व के तौर पर व्याख्यायित करते हैं। सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसे बुद्धिजीवी भी इस बारे में ऐसी ही मासूमियत के साथ सोचते हैं जो पूरी गंभीरता के साथ जनता के पक्ष में ही खड़े रहते हैं।

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बलात्कारी आसपास!

August 27, 2023 admin 0
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मणिपुर के पूरे कैनवास पर बात करना चाहती हूं। वहां जो कुछ घट रहा है – एक जाति दूसरे जाति को खत्म कर रही है, एक धर्म दूसरे धर्म को नष्ट करने पर आमादा है और इसी का खामियाजा है कि एक लिंग का मनुष्य दूसरे लिंग के मनुष्य को हथियार की तरह उपयोग कर रहा है, उसके अपमान का जश्न मना रहा है।

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नदियों का विद्रोह

August 26, 2023 admin 0
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पर्वतीय क्षेत्रों से बाढ़ का आना एक समय तक अच्छा माना जाता था पर विगत कुछ वर्षों में इसने जो रूप ले लिया है वह पहले ही गंभीर चिंता का बनना चाहिए था जो बन नहीं पाया। ऐसा क्यों हुआ?

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जरूरत नागरिक संहिता की है!

August 25, 2023 admin 0
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शादी, तलाक, गोद लेने और संपत्ति पर अधिकार मिलने जैसे कई मायनों में, अलग-अलग धर्मों के रीति-रिवाज और नियम अलग-अलग हैं! क्यों? ऐसा क्यों है कि वे लोग जो भारत में धर्म और जाति की समानता का उपदेश देते हैं, आमदनी के अंतर के मसले को छूते ही नहीं हैं, जो कि लोगों की रोजी-रोटी का स्रोत है?

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राष्ट्रवादियों के समय में औरतें

June 27, 2023 admin 0
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भारतीय कुश्ती संघ में यौन हिंसा के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत जुटाने वाली एक लड़की नाबालिग है। कानूनी रूप से ऐसे मामलों में एफआईआर तो तुरंत होनी ही चाहिए, गिरफ्तारी भी 24 घण्टे के अंदर हो जानी चाहिए, लेकिन यह भी नहीं हुआ। इसके लिए महिला पहलवानों को धरने पर बैठना पड़ा है, उनका धरना 23 अप्रैल से जंतर-मंतर, दिल्ली में पर चल रहा है। इस बीच सरकार ने इस आंदोलन को तोडऩे के लिए कई हथकंडे अपनाए हैं पर उन्हें समर्थन देने वालों और कार्यक्रमों का दायरा बढ़ता जा रहा है।

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कर्नाटक के संकेत और भविष्य की दिशा

June 26, 2023 admin 0
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केवल पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों के पढऩे से देशभक्त पैदा नहीं होते। यदि ऐसा होता तो भारत में स्वतंत्रता के लिए लडऩे वाला एक भी देशभक्त पैदा नहीं हुआ होता क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन की अगली पंक्ति के अधिकांश नेताओं की शिक्षा-दीक्षा विदेशों में हुई और जिन लोगों ने भारत में शिक्षा प्राप्त की उन्हें भी वह पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें पढऩी पड़ीं, जो अंग्रेजों ने ही बनाई थीं। इन सबको पढ़कर भी देशभक्तों की फौज खड़ी हो गई। यह आश्चर्य की बात है!

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भविष्य के लिए अच्छा लक्षण नहीं है ‘सेंगोल’

June 26, 2023 admin 0
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तमिल नाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके – द्रविड़ मुनेत्र कषगम – के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुराई (1967-69) ने 24 अगस्त, 1947 को तमिल साप्ताहिक द्रविडऩाडु में अपनी प्रखर व्यंग्यात्मक शैली में विवादस्पद स्वर्ण आभूषित छड़ी, राजदंड या धर्मदंड ‘सेंगोल’ की पृष्ठभूमि में छिपे मूल वर्गीय हितों और भावी कुप्रभावों को लेकर एक बड़ा लेख लिखा था। लेख में द्रविड़ आंदोलन के नेता ने आधुनिक भारत के आर्किटेक्ट व प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के वैज्ञानिक मानस को झकझोरने वाली चेतावनियां भी दी हैं। तब के लिए ही नहीं, ये गंभीर चेतावनियां 21वीं सदी के भारत पर भी लागू होती हैं। दिवंगत नेता अन्नादुराई लेख में ब्राह्मण पुजारियों द्वारा प्रधानमंत्री नेहरू को सेंगोल दिए जाने पर हैरत भी जाहिर करते हैं…लेख के कुछ हिस्सों का तात्कालिक अनुवाद प्रस्तुत है।