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हमारे मुल्क ने अपनी नैतिक दिशा खो दी है’

March 14, 2024 admin 0
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हमारे वक्त की सबसे हैरान कर देने वाली उलझन यह है कि ऐसा लगता है कि सारी दुनिया में लोग खुद को और भी कमजोर और वंचित बनाने के लिए वोट दे रहे हैं। वे मिली हुई सूचनाओं के आधार पर वोट डालते हैं। वह सूचना क्या है और उस पर किसका नियंत्रण है – यह आधुनिक दुनिया का मीठा जहर है। जिसका तकनीक पर कब्जा है, उसका दुनिया पर कब्जा है। पर मैं मानती हूं कि अवाम पर अंतत: कब्जा नहीं किया जा सकता है और वे कब्जे में नहीं आएंगे।

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स्टेडियम से अखाड़े तक

March 14, 2024 admin 0
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देश के, ओलंपिक जैसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में, पदक जीतनेवाले सर्वश्रेष्ठ खिलाडिय़ों के साथ, आज जो हो रहा है, वह शर्मनाक है। लोकतांत्रिक व्यवस्था […]

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अकादमिक आजादीः बढ़ता खतरा

October 7, 2023 admin 0
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सरकारी हस्तक्षेप की वजह से विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। कुलपति और विश्वविद्यालय के नीति निर्धारण के लिए बनी कार्य परिषदें भाजपा और आरएसएस प्रतिनिधियों की तरह व्यवहार कर रही हैं।

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बलात्कारी आसपास!

August 27, 2023 admin 0
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मणिपुर के पूरे कैनवास पर बात करना चाहती हूं। वहां जो कुछ घट रहा है – एक जाति दूसरे जाति को खत्म कर रही है, एक धर्म दूसरे धर्म को नष्ट करने पर आमादा है और इसी का खामियाजा है कि एक लिंग का मनुष्य दूसरे लिंग के मनुष्य को हथियार की तरह उपयोग कर रहा है, उसके अपमान का जश्न मना रहा है।

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फासीवाद के बढ़ते कदम और प्रतिरोध की संभावना

July 24, 2023 admin 1
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कम्युनिस्ट आंदोलन में दिपंकर भट्टाचार्य का नाम चिर परिचित है। विगत 25 वर्ष से दीपांकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव हैं। उन्होंने राजनीति, संस्कृति और सामाजिक क्षेत्र में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। पिछले दिनों वह नागपुर में प्रगतिशील लोकतांत्रिक मंच द्वारा आयोजित ‘फासीवाद के बढ़ते कदम और प्रतिरोध की संभावना’ विषय पर आयोजित व्याख्यान माला में शिरकत करने आए हुए थे। इस अवसर पर उनसे गोपाल नायडू से हुई बातचीत प्रस्तुत है:

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इतिहास का सांप्रदायीकीरण और पाठ्यक्रमों में बदलाव

May 25, 2023 admin 0
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– जवरीमल्ल पारख एनसीइआरटी और स्कूल की पुस्तकों में बदलाव पहली बार नहीं किया गया है। जब–जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई है, चाहे […]

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ताकि सनद रहे…

May 7, 2023 admin 0
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– कृष्ण प्रताप सिंह मुझे नहीं मालूम कि आप अगली बार अयोध्या आयेंगे तो इस ध्वंस को किस निगाह से देखेंगे? उस निगाह से, जिससे […]

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इतिहास विरोधी चरित्र

May 7, 2023 admin 0
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जनमत उद्योग समाज की राजनीतिक चेतना, सामाजिक मूल्य और आर्थिक व्यवहार को केवल पूंजीपति और सत्ताधारी वर्ग के अनुकूल रूप में निर्धारित ही नहीं करते हैं, बल्कि सामान्य और लोकप्रिय इतिहासबोध को भी प्रभावित करते हैं।

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विचार के स्वराज की जरूरत

March 4, 2023 admin 0
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– अभिषेक श्रीवास्तव पिछले दिनों बिहार के किसी नेता ने रामचरितमानस पर एक  टिप्पिणी की थी। उस टिप्पणी ने हिंदी जगत की सुप्ति प्रेतात्मापओं को […]