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वोट की राजनीतिः आखिर जनता का पैमाना क्या होता है?

November 18, 2020 admin 0
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गाय पट्टी में बिहार वामपंथी, सोशलिस्ट और सामाजिक न्याय के आंदोलन का गढ़ रहा है। यह ऐसा प्रदेश रहा है, जहां 1970 के दशक में ही सोशलिस्ट पार्टी की सरकारें बनीं। भले ही ये सरकारें ज्यादा दिन नहीं चल पाई हों। वामपंथी आंदोलन, सोशलिस्ट आंदोलन और सामाजिक न्याय आंदोलन, तीनों का आधार सामाजिक तौर पर पिछड़े एवं दलित और आर्थिक तौर पर भूमिहीन एवं गरीब-सीमांत किसान रहे हैं, भले ही नेतृत्व में ऊंची जातियां भी रही हों। जहां सोशलिस्ट आंदोलन का मुख्य आधार पिछड़ा वर्ग था, वहीं वामपंथी आंदोलन का व्यापक आधार दलितों में भी था।

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कांग स्पेल्टी की दुनिया

November 18, 2020 admin 0
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तरुण भारतीय आंख खुलते ही व्हाट्सएप संदेश देखा कि कांग स्पेलिटी नहीं रहीं। वह 28 अक्टूबर की रात 11 बजे चल बसीं। डॉमियासियाट् की महामाता […]

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लोकतांत्रिक नेहरू – जवाहरलाल नेहरू (14 नवंबर 1889-27 मई 1964) की प्रासंगिकता पर

November 14, 2020 admin 0
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प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू (1947 से 1964) के सामने जब आधुनिक लोकतांत्रिक भारतीय राष्ट्र की नींव डालने और उसे पल्लवित-पुष्पित करने का कार्यभार उपस्थित हुआ, तो उनके सामने चुनौतियों के कई पहाड़ थे। इनमें सबसे बड़ी चुनौती जाति विभाजित भारत को एक धर्मनिरपेक्ष आधुनिक लोकतंत्र के रूप में स्थापित करना था। 131वें जन्मदिन पर उनके योगदान का पुनर्संस्मरण।

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देश का नेता कैसा हो…

November 10, 2020 admin 0
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अक्टूबर की दो घटनाएं, यद्यपि ये पृथ्वी के दो छोरों की हैं, किसी भी बहुनस्लीय, बहुधार्मिक, बहुजातीय और बहुभाषीय समाज के लिए ऐसे उदाहरण हैं […]