No Image

‘हेट स्पीच’ का दुःस्वप्न

October 19, 2020 admin 0
Share:

पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जो समाज से जुड़ा है और जो अपने लिखे हुए, प्रकाशन और प्रसारण के लिए समाज के प्रति जवाबदेह है। अगर एक भी शब्द या दृश्य गलत या झूठा है या सनसनी फैलाने और किसी को चोर रास्ते से बढ़ावा देने या बचाने के लिए लिखा गया है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसीलिए मीडिया के नियमन की आवश्यकता पड़ती है। भारत में मीडिया के नियमन की कोई एकीकृत प्रणाली और कानून व्यवस्था नहीं है।

No Image

गांधी और आंबेडकरः राष्ट्र निर्माण की दो विश्व दृष्टियों का संघर्ष

October 16, 2020 admin 4
Share:

डॉ. आंबेडकर और महात्मा गांधी दो भिन्न-भिन्न विचारधाराओं के प्रतिनिधि हैं। वैश्विक संदर्भ में आंबेडकर पाश्चात्य दर्शन (तर्क) के पक्ष में खड़े हैं तो गांधी गैर पाश्चात्य दर्शन (आस्था) के पक्ष में खड़े हैं। भारतीय संदर्भ में आंबेडकर बौद्ध दर्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं तो गांधी वैदिक दर्शन का।

No Image

विपदा ने सिखायी नरमी

October 11, 2020 admin 0
Share:

  हरीश खरे   नरेंद्र मोदी के स्वाधीनता दिवस के भाषण को उनकी ही कसौटी पर कसें तो पाते हैं कि इस बार उन्हें इसमें […]

No Image

18वीं सदी की राजभक्ति और 21वीं सदी में नजीर?

October 9, 2020 admin 0
Share:

अवमानना के सजा योग्य अपराध होने का इतिहास बताता है कि पहले इंग्लैंड में राजा खुद न्याय करता था। बाद मैं राजा ने न्याय का काम कुछ न्यायाधीशों को अपने प्रतिनिधि के तौर पर सौंपा। तो न्यायाधीशों की निंदा, राजा की निंदा मानी गई और इसलिए दंडनीय हुई। ऐतिहासिक रूप से और जन्म से, अवमानना के अपराध का औचित्य राजा और राज के प्रति जनता के रवैये को प्रभावित करने को लेकर है और न्यायपालिका का खुद को अपमानित महसूस करने का कोई सवाल नहीं है। 

No Image

लिबास में ढकी मंशाएं

October 7, 2020 admin 0
Share:

प्रतिकात्मकता वैसे तो संवाद और संचार का अंग है, इसलिए सर्वव्याप्त है पर जहां तक राजनीति का सवाल है वह इसे किस तरह इस्तेमाल करती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसका चरित्र क्या है। वैसे भी राज्य की परिकल्पना प्रतीकों से अटी पड़ी है। लोकतंत्रों में जहां मतदाता को रिझाना महत्त्वपूर्ण होता है, स्वप्नों और अपेक्षाओं के रसायन से भरी प्रतिकात्मकता का बोलबाला समझ में आने वाला है। यह प्रतिकात्मकता स्वर्णिम विगत और अपेक्षित भविष्य के सपनों का ऐसा रसायन होती हैं जिसका अक्सर तर्क और यथार्थ से कोई लेना देना नहीं होता। पर जो शासितों से होनेवाली प्रतिबद्धता की अपरिहार्य मांग को आसान और सह्य बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।