No Image

यूलिसिस के सौ साल

December 28, 2022 admin 0
Share:

जेम्स जॉयस के विश्व प्रसिद्ध उपन्यास यूलिसिल के सौ वर्ष होने पर उत्तरा बिष्ट

No Image

भारत में समाजवाद के सौ साल

December 27, 2022 admin 0
Share:

– प्रकाश चंद्रायन भारत में समाजवाद के वैचारिक प्रयोग के सौ साल हो चुके हैं। वाम, मध्य, दक्षिणपंथी, आदि सभी संगठन अपने-अपने समाजवाद के सहारे […]

No Image

हंगामा है क्यों बरपा

December 10, 2022 admin 0
Share:

इजराइली मूल के नादव लेपिड अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के फिल्मकार हैं और भारतीय फिल्म महोत्सव आइआइएफआइ से उनका पुराना नाता है। इस बार वह अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड के अध्यक्ष थे।

No Image

अपराध, पर दंड कहां है?

December 4, 2022 admin 0
Share:

बहुमत या प्रचंड बहुमत में सत्ताधारी ऐसे निर्णय लेते हैं जो उनकी महत्वाकांक्षाओं के अलावा उनकी सनकों का भी प्रमाण होते हैं। इसका एक कारण जनमत को लेकर उनका यह विश्वास रहता है कि वे जो चाहे कर सकते हैं, जनमत उनके साथ रहेगा।

No Image

प्रतीक बनाम राजसत्ता : प्रतीकों का अभिप्राय कला-कर्म या ललित कलाओं से

November 25, 2022 admin 0
Share:

– गोपाल नायडू   हर काल में राजसत्ता प्रतीकों को लेकर खेल खेलती है और अपने हित में, अपनी सुविधा से उनका इस्तेमाल करती है। […]

No Image

निरालाः पुनर्विचार और नए नतीजे

November 25, 2022 admin 0
Share:

रामविलास शर्मा की प्रतिष्ठा का आधार उनकी पुस्तक निराला की साहित्य साधना (भाग दो )है। यहां तक कि अक्सर निराला को स्थापित करने का श्रेय भी इस किताब को मिल जाता है। यह पहली बार 1972 में प्रकाशित हुई थी। इस तरह इस के प्रकाशन के 50वें साल में इस पर दुबारा नजर डालना अनुपयुक्त न होगा। प्रस्तुत है तीन अंकों में प्रकाशित होने वाले इस लेख की दूसरी किस्त।

No Image

अक्षय स्मृति की रचनाकार

November 25, 2022 admin 0
Share:

इस वर्ष की नोबेल पुरस्कार विजेता फ्रांसीसी लेखक एनी अर्नो में ऐसी कौनसी खासियत या खूबी है कि लोग उनकी किताबों के दीवाने बन जाते हैं और फ्रांस में उन्हें बेशुमार लोकप्रियता हासिल है। क्या किसी का निजी जीवन दूसरे व्यक्ति के लिए या एक लेखक का जीवन गाथा पाठक में कोई उत्सुकता जगा सकती है, रोमांचित या आल्हादित या उद्वेलित कर सकती है? वह निजी वृत्त के अनुभव और स्मृति को एक सार्वभौव व्यथा-कथा में तब्दील कर पाती हैं।

No Image

फासीवाद की बढ़ती छाया

November 18, 2022 admin 0
Share:

इतालवी और योरोपीय समाज में सतह के नीचे मौजूद फासीवादी विचारधारा के प्रभाव को रेखांकित करते हुए प्रसिद्ध इतालवी उपन्यासकार और निबंधकार अम्बर्तो इको ने लिखा था, ”उर-फासीवाद (आंतरिक फासीवाद) लगातार हमारे आस पास है, कई बार तो बिल्कुल ही सादे कपड़ों में। यह हमारे लिए बहुत ही सामान्य बात होगी कि कोई व्यक्ति इस परिदृश्य में हमारे सामने आए और कहे, मैं आउशवित्स को फिर से खोलना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि इटली के चौराहों पर काली कमीज वाले लोग परेड करें।”